गोरखपुर-सलेमपुर-बरहज की ब्रांचों में छात्रों और शिक्षकों ने दिया ढेरों आशीर्वाद….
(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
सलेमपुर/बरहज/गोरखपुर। पूर्वांचल की शिक्षा जगत की पहचान बन चुकी जीएम एकेडमी आज पूरी तरह जश्न के रंग में रंगी रही, क्योंकि संस्थान के चेयरमैन और डायरेक्टर डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र का जन्मदिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गोरखपुर, सलेमपुर और बरहज की तीनों शाखाओं में सुबह से ही उल्लास और उमंग का माहौल था, बच्चे रंग-बिरंगे परिधानों में विद्यालय पहुंचे, शिक्षकों ने भी अपने चेयरमैन के जन्मदिन को खास बनाने के लिए दिल से तैयारियां की थीं। जब चेयरमैन ने छात्रों और शिक्षकों के बीच केक काटा तो पूरा प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और बच्चों ने एक स्वर में जन्मदिन गीत गाकर माहौल को और भी आनंदमय बना दिया। हर ओर मुस्कान और उमंग बिखरी हुई थी, मानो पूरा विद्यालय एक परिवार की तरह मिलकर अपने अभिभावक का जन्मदिन मना रहा हो। छात्रों ने नृत्य, गीत और विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से अपने चेयरमैन को अनोखा तोहफा दिया, कई बच्चों ने स्वयं हाथों से ग्रीटिंग कार्ड, पोस्टर और चित्र बनाकर अपने स्नेह और सम्मान को व्यक्त किया, तो कहीं छोटे बच्चों ने फूल भेंट कर अपने मन की खुशी जताई। शिक्षकों ने चेयरमैन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सादा जीवन, उच्च विचार और उदारता के प्रतिमूर्ति हैं, उनके जैसा प्रेरणास्रोत शिक्षा जगत में विरला ही मिलता है।

सलेमपुर ब्रांच के प्रिंसिपल मोहन द्विवेदी ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि परमपिता परमेश्वर और माता रानी की असीम कृपा से वे सदैव स्वस्थ, प्रसन्नचित्त और दीर्घायु रहें। पूरे माहौल में यह विश्वास साफ झलक रहा था कि डॉ. मिश्र केवल एक प्रबंधक नहीं बल्कि एक मार्गदर्शक और आदर्श पुरुष हैं, जिनकी छत्रछाया में जीएम एकेडमी शिक्षा के नए कीर्तिमान गढ़ रही है। चेयरमैन ने भी बच्चों और शिक्षकों की शुभकामनाएं स्वीकार करते हुए भावुक शब्दों में कहा कि आप सबका प्यार और विश्वास ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है, और वे आजीवन छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय गौरीशंकर जी की नकल विरोधी विचारधारा को याद करते हुए कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य जीवन को सही दिशा देना है और यही ध्येय लेकर जीएम एकेडमी निरंतर आगे बढ़ रही है। इस खास मौके को जीएम एकेडमी परिवार ने न सिर्फ जश्न बनाया बल्कि इसे शिक्षा जगत के इतिहास में एक यादगार तारीख भी दर्ज कर दिया।








