• Home
  • National news
  • एक जिला – एक नदी’ अभियान से नून नदी को मिला नया जीवन, ग्रामीणों में लौटी उम्मीद
Image

एक जिला – एक नदी’ अभियान से नून नदी को मिला नया जीवन, ग्रामीणों में लौटी उम्मीद

मुख्यमंत्री की पहल से पुनर्जीवित हुई नून नदी, फिर लौटी हरियाली और पहचान

48 किमी लंबी नून नदी को मिला पुनर्जीवन, 58 ग्राम पंचायतों के 6,000 मजदूरों ने श्रमदान से दिया जीवन

40,000 पौधों से नदी किनारे विकसित हुई हरियाली, “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत किया गया वृक्षारोपण

लखनऊ/कानपुर, 15 जुलाई। कानपुर नगर की सूख चुकी नून नदी अब दोबारा बहने लगी है। एक समय जो नदी पूरी तरह खत्म हो चुकी थी, नक्शे से गायब, गाद से भरी, अतिक्रमण से दब चुकी थी, वह अब जलधारा बनकर फिर से जीवन देने लगी है। यह परिवर्तन यूं ही नहीं आया, इसके पीछे है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच और प्रतिबद्धता, जिन्होंने “एक जिला – एक नदी” पहल के माध्यम से राज्य की मृतप्राय नदियों को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच ने यह साबित कर दिया कि परिवर्तन की सबसे बड़ी धारा संकल्प से निकलती है और यही नून नदी की असली कहानी है। नून नदी का यह पुनर्जागरण न केवल कानपुर नगर के लिए, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन चुका है। यह बताता है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक सक्रियता और जनता की भागीदारी एक साथ आती है, तो मिट चुकी नदियां भी फिर से जीवनदायिनी बन सकती हैं।

एक भूली-बिसरी नदी, जो इतिहास बन चुकी थी
नून नदी, जो कभी बिल्हौर, शिवराजपुर और चौबेपुर के खेतों को सींचती थी, बच्चों के खेल की साक्षी थी और ग्रामीण संस्कृति का अभिन्न हिस्सा थी वह नदी उपेक्षा की शिकार हो चुकी थी। न तो उसमें पानी बचा था, न कोई पहचान। अतिक्रमणों और गाद ने धारा को पूरी तरह बंद कर दिया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच थी कि प्रदेश की उन नदियों को फिर से जिंदा किया जाए, जो किसी समय समाज और प्रकृति का हिस्सा थीं। “एक जिला – एक नदी” योजना इसी सोच की उपज है। नून नदी का चयन इस योजना के आदर्श मॉडल के रूप में हुआ। जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह और मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन के नेतृत्व में इस कार्य को एक सरकारी योजना से अधिक जनभागीदारी अभियान बनाया गया।

तकनीकी, पारंपरिक और जनस्मृति का अद्भुत समन्वय
48 किमी. लंबी नून नदी का पुराना रास्ता खोजने में राजस्व अभिलेख, ग्रामीणों की यादें, ड्रोन सर्वेक्षण और सैटेलाइट इमेज का सहारा लिया गया। स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि कहां से बहती थी नदी, और कैसे गायब हो गई। इसके बाद मनरेगा योजना के तहत सफाई, खुदाई, गाद निकासी और तटबंध निर्माण का कार्य आरंभ हुआ। इसके तहत करीब 6,000 श्रमिकों ने 58 ग्राम पंचायतों से मिलकर करीब 23 किलोमीटर की खुदाई और सफाई का कार्य किया। मशीनों की जगह श्रमिकों के श्रम का उपयोग किया गया, जिससे न केवल काम की संवेदनशीलता बनी रही, बल्कि रोज़गार भी मिला। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग ₹57 लाख खर्च हुए और 23,000 से अधिक मानव दिवस का सृजन हुआ।

अब जल है, हरियाली है, जीवन है
मुख्यमंत्री की यह भी मंशा रही कि नदी केवल बहे नहीं, वह समाज और पर्यावरण से जुड़ जाए। इसी भावना से जुलाई के पहले सप्ताह में नदी के दोनों तटों पर 40,000 से अधिक पौधे रोपे गए जिनमें नीम, पीपल, पाकड़, सहजन जैसे वृक्ष प्रमुख हैं। यह पौधे न केवल हरियाली को बढ़ावा देंगे बल्कि जलवायु संतुलन, पशु-पक्षियों के आवास और मृदा संरक्षण में भी सहायक होंगे। नदी को पुनर्जीवित करने में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों, निजी कंपनियों और उद्योगों का भी सहयोग लिया गया। कई फैक्ट्रियों का दूषित जल नदी में मिल रहा था उन्हें नोटिस देकर बंद करवाया गया। समाज की सहभागिता से यह अभियान जनआंदोलन में बदल गया। अब जब आप कन्हैया ताल के पास जाएंगे, तो वहां आपको सूना सन्नाटा नहीं, बल्कि जल की कलकल, बच्चों की हंसी और लोगों की चहल-पहल सुनाई देगी। सुबह-शाम ग्रामीण वहां टहलते हैं, पौधों की सिंचाई करते हैं, और इस धारा को अपनी आंखों के सामने बहता देख गौरव अनुभव करते हैं।

फरवरी में शुरू हुआ पुनर्जीवन कार्यक्रम
कानपुर नगर की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) दीक्षा जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप नून नदी को चिह्नित किया गया था। इसका ड्रोन से एरियल सर्वे भी कराया गया और सैटेलाइट इमेज के माध्यम से इसके मार्ग की भी पहचान की गई। पता चला कि यह नदी काफी जगह अतिक्रमित थी और इसमें जलकुम्भी भी आ गई थी। कई जगह भारी मात्रा में मिट्टी भी जमा थी। फरवरी में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में इसके पुनर्जीवन का कार्यक्रम शुरू किया गया। इसमें अधिकतम काम मनरेगा के माध्यम से संचालित किया गया। फैक्ट्री का दूषित जल आ रहा था, उसे नोटिस करके बंद करवाया गया। प्राइवेंट कंपनियों, स्थानीय उद्योगों की भी इसमें मदद ली गई। नतीजा बेहद उत्साहजनक रहा। जो नदी बिल्कुल खत्म हो चुकी थी आज उसमें बड़ी मात्रा में जल संचयन हो रहा है। हाल ही में पौधरोपण अभियान के तहत यहां नदी के किनारे 40 हजार से ज्यादा पौधरोपण किया गया है। नदी के पुनर्जीवन की प्रगति देखकर स्थानीय लोगों में काफी उत्साह है।

Releated Posts

“सैयारा की सुनामी बॉक्स ऑफिस पर जारी: 8वें दिन भी छाए अहान पांडे – 170 करोड़ पार”

मोहित सूरी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सैयारा’ रिलीज़ के बाद से ही बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा रही है।…

सावन में महादेव से पाएं सच्चा प्रेम: गुरु माँ संतोष साध्वी जी का खास उपाय

सावन का महीना भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे पवित्र समय माना जाता है। यह माह केवल…

“बिहार में महागठबंधन की नींव डगमगाई: कांग्रेस और तेजस्वी यादव के बीच विश्वास की दीवार दरकी”

बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिख रही है। 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर जहां सभी…

दिखने लगा सीएम योगी की योजनाओं का असर, यूपी में महिलाएं हुई ज्यादा कामकाजी

– उत्तर प्रदेश में बढ़ी महिला श्रम भागीदारी, WEE रिपोर्ट में दिखा योगी सरकार का असर – महिला…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

एक जिला – एक नदी' अभियान से नून नदी को मिला नया जीवन, ग्रामीणों में

You cannot copy content of this page