ऐसा धाम-जहां आस्था है इलाज और तालाब है दवा
*(शीतल निर्भीक/रंजना वर्मा ब्यूरो)**
**आज के इस आधुनिक दौर में चिकित्सा विज्ञान चाहे जितनी तरक्की कर ले,लेकिन आस्था और परंपरा के कुछ ऐसे चमत्कारी स्थान आज भी हैं, जो लोगों को चौंकाने के साथ-साथ रोगों से राहत देने का दावा करते हैं।क्या आपने कभी ऐसा तालाब देखा है, जहां केवल स्नान करने से दाद, खाज, खुजली जैसी चर्म रोगों से छुटकारा मिल जाए? सुनकर हैरानी जरूर होगी!
उत्तर-प्रदेश के देवरिया जनपद की सलेमपुर स्थित सोहनाग “परशुराम धाम” का एक पवित्र सरोवर इन दिनों चर्म रोगों से पीड़ित लोगों के बीच आशा की किरण बन गया है। कहा जाता है कि यहां तालाब में स्नान करने मात्र से वर्षों पुराने दाद, खाज, खुजली और अन्य त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा मिल जाता है। यह दावा केवल स्थानीय लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी गूंज अब देश के अन्य हिस्सों तक भी पहुंच रही है।लोग इसे चर्म रोगों का नेचुरल आयुर्वेदिक हॉटस्पॉट कहने लगे हैं। इस तालाब की खासियत यह है कि यहां के पानी में चमत्कारी शक्ति मानी जाती है।
कहते हैं, इस जल से नहाने मात्र से वर्षों से जूझ रहे त्वचा रोग ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे जादू से हो। परशुराम धाम ट्रस्ट से जुड़े याज्ञिक शिरोमणि गंगाधर शुक्ल, जिन्होंने अब तक 800 से अधिक महायज्ञ अपने आचार्य नेतृत्व में कराए हैं, लोगों से आह्वान करते हैं—”चर्म रोग से परेशान हैं? तो अस्पताल नहीं, इस तालाब का रुख करें!”यह चमत्कारी सरोवर भगवान परशुराम के मंदिर के पास स्थित है और यहां शनिवार-रविवार को मेला जैसा माहौल बन जाता है। भक्तजन दूर-दराज़ से आते हैं—कोई गोरखपुर से, कोई बनारस से, तो कोई बिहार और मध्यप्रदेश से। स्थानीय पुजारी बताते हैं कि यहां आकर कई ऐसे मरीज लौटे हैं जो वर्षों से इलाज करवाने के बाद निराश हो चुके थे, लेकिन इस तालाब में एक बार स्नान के बाद उनकी त्वचा चमक उठी।परशुराम धाम के आचार्य अखिलेश शुक्ल भी दावा करते हैं कि यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी आस्था है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यहां रोज़ देखने को मिलता है। श्रद्धालु न केवल स्नान करते हैं, बल्कि स्नान के बाद भगवान परशुराम के मंदिर में पूजा-अर्चना कर मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त करते हैं।हालांकि आधुनिक विज्ञान इसे अंधविश्वास कह सकता है, लेकिन यहां आने वाले लोगों की आंखों में विश्वास की चमक, शरीर पर जख्मों की राहत और मन में मिला सुकून—इन सबका कोई वैज्ञानिक आंकलन नहीं कर।
लोग कहते हैं कि यह तालाब नहीं, भगवान परशुराम की कृपा का जीता-जागता प्रतीक है।अगर आप भी त्वचा रोगों से परेशान हैं, और दवाओं से थक चुके हैं, तो एक बार इस पवित्र धाम में डुबकी लगाकर देखिए। क्या पता, आपके लिए भी चमत्कार इंतजार कर रहा हो! खबर यूपी के देवरिया से शीतल निर्भीक और रंजना वर्मा की खास रिपोर्ट।