हास्य दिन के अवसर पर

*विषय:* *संकल्प*

नया साल आया, नए संकल्प लाया हमारे एजी ने देखा प्यार से मेरी तरफ ….पूछा क्या इस बार भी लिया नया संकल्प?या आगे बढ़ाओगी पुराने आधे अधूरे विकल्प l बड़े गुस्से से मैंने नयन कटाक्ष डाले उनकी ओर,

की हंसते उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें बनी पुरजोर

कहा मैंने गुस्से से, की प्रण लेती हूं इस बार संकल्प पूरा करके ही दिखाऊंगी अबकी बार कम से कम दस किलो घटाउंगी

कैटरीना सी पतली कमर बनाउंगी …..

रोज तड़के सुबह 5 बजे से करूंगी मॉर्निंग वॉक मीठा,नमकीन छोड़के सिर्फ पियूंगी सब्जियों का स्टॉक l

फिर बड़े प्यार से, आंसू भरे नयनों से देखा खाने की थाली को

फिर गदगद हो कर कहा,”हे छोले भटूरों , आज

आखिरी बार तुम्हें चखूंगी, कल से पतली गली से निकल जाऊंगी।

” सर्वोच्च टीकाकार हमारे एजी ने हमे थम्स अप का अंगूठा दिखाया और अखबार में अपना मुंह छुपाया।

भीष्म प्रतीज्ञा लेकर निद्रा देवीजी के अधीन हुई, सुनहरे पतली कमर वाले सपनों में खो गई l”अजी उठती हो!!!! सूरज निकल आया ,चुन्नू मुन्नू का टिफिन नहीं बनाया….

धड़ल्ले से बिस्तर में उठ खड़ी हुई ,आलू के पराठों को बटर में डूबो दिया ।उसकी महक से मेरा मन थोड़ा डोल गया, सोचा, क्या होगा अगर मैंने मेरा संकल्प कल या परसों शुरू किया ?ऐसे करते करते नया साल फिर से कल पर आया मेरे दृढ संकल्प का फ़िर से बाजा बज गया l

प्रांजली चौधरी गोवा.

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