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जन्मदिन विशेष-राजनीति के अपराजेय योद्धा – आदित्यनाथ-रीना एन सिंह

(शीतल निर्भीक ब्यूरो)

लखनऊ।1998 में जब योगी आदित्यनाथ ने राजनीति में कदम रखा और 12वीं लोकसभा के दौरान सांसद चुने गए तब से लेकर अब तक उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा 1999, 2004, 2009, 2014 कुल मिलाकर पांच बार के सांसद योगी आदित्यनाथ जब 2017 में भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब बहुत लोगों ने यह कहा कि उन्हें प्रशासनिक अनुभव नहीं है ऐसे लोगों को योगी आदित्यनाथ ने तब जवाब दिया जब वह 2022 में 25 करोड़ की जनसंख्या के प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने जिसने न केवल पांच वर्ष कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया बल्कि दोबारा हुए चुनाव में सफलतापूर्वक वापसी भी की ।

देश को कई बड़े राजनेता देने वाले उत्तर प्रदेश में ऐसा कोई न कर सका। निश्चित रूप से जो सफर की शुरुआत करते हैं, वे मंजिल भी पा लेते हैं, बस एक बार चलने का हौसला रखना जरूरी है, शायद यही सोचकर वर्ष 1992 में 22 वर्ष के अजय सिंह बिष्ट ने सांसारिक जीवन को त्याग कर सन्यास आश्रम में प्रवेश किया और वह अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गए, सन्यास जीवन ग्रहण करने के बाद योगी ने घर और परिवार त्याग कर देश सेवा और समाज सेवा करने का संकल्प लिया। मार्च 2017 में जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम की घोषणा की गई तो हर कोई हैरान था। योगी आदित्यनाथ ने भारतीय राजनीति में एक नई पहचान बनाई है, जिसमें हिंदुत्व, विकास और कानून-व्यवस्था को लेकर उनका आक्रामक और स्पष्ट दृष्टिकोण शामिल है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने जो छवि बनाई है, वह उन्हें भविष्य में और भी बड़े राजनीतिक मंच पर स्थान दिला सकती है।

कई विश्लेषक मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक भविष्य राष्ट्रीय स्तर पर और भी उज्जवल है, और उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को और मजबूत होने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। योगी आदित्यनाथ की राजनीति केवल उत्तरप्रदेश तक सीमित नहीं रहने वाली है। जिस तरह से उन्होंने हिंदुत्व की धारा को भाजपा के एजेंडे के साथ समन्वित किया है, वह उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित कर रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद, अगर कोई नेता भाजपा में सबसे ज्यादा चर्चा में है, तो वह योगी आदित्यनाथ हैं। उनके व्यक्तित्वऔर राजनीतिक कद को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में वे प्रधानमंत्री पद के एक संभावित उम्मीदवार बन सकते हैं।

उत्तरप्रदेश की जनता के बीच योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और उनके शासन के दौरान किए गए कार्य उन्हें राष्ट्रीय राजनीति की ओर खींच रहे हैं। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि, अगर भाजपा योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाती है, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। उनकी लोकप्रियता का कारण न केवल उनके विकास कार्य हैं, बल्कि उनका साफ और पारदर्शी प्रशासन भी है। उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करने और विकास को नई दिशा देने के कारण योगी आदित्यनाथ की छवि एक सक्षम नेता के रूप में उभर कर आई है। अगर भाजपा में सत्ता के अंदर नेतृत्व परिवर्तन की बात हो या 2029 तक का राजनीतिक परिदृश्य देखें, तो योगी आदित्यनाथ का नाम प्रमुखता से उभर सकता है। उनके समर्थन में हिंदुत्व की विचारधारा, विकास का मॉडल, और राष्ट्रीय सुरक्षा का दृष्टिकोण है। इन मुद्दों पर उनका स्पष्ट और दृढ़ रूख भाजपा के मूल मतदाताओं के साथ उन्हें जोड़े रखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा सकता है। योगी की साधुवाली छवि और उनकी कर्मठता उन्हें ओरों से अलग बनाती है। अगर वे दिल्ली पहुंचते हैं, तो उनका फोकस देश की आंतरिक सुरक्षा, सीमा पर चुनौतियों का सामना और धार्मिक ध्रुवीकरण के साथ-साथ विकास पर रहेगा। उनकी राजनीतिक सोच और कार्यशैली यह दिखाती है कि वे केवल हिंदुत्व के मुद्दों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि समग्र विकास और भारत की वैश्विक छवि को भी प्राथमिकता देते हैं।

हालांकि, योगी आदित्यनाथ के लिए भविष्य में कई चुनौतियां भी होंगी। एक राष्ट्रीय नेता के रूप में, उन्हें केवल उत्तरप्रदेश नहीं, बल्कि पूरे देश के हर हिस्से में लोकप्रियता हासिल करनी होगी। इसके साथ ही, वे विभिन्न समाजों और जातियों को साथ लेकर चलने की चुनौती का सामना करेंगे। एक साधु और राष्ट्रवादी नेता के रूप में उनकी छवि मजबूत है, लेकिन एक प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें हर वर्ग और राज्य के विकास की जिम्मेदारी उठानी होगी। योगी आदित्यनाथ का भविष्य भारतीय राजनीति में न केवल उज्जवल दिख रहा है, बल्कि उनके लिए प्रधानमंत्री आवास (7, लोक कल्याण मार्ग, दिल्ली) तक पहुंचने की संभावना भी काफी प्रबल है। वे भाजपा के भविष्य के एक मुख्य स्तंभ बन सकते हैं, और अगर वे देश की बागडोर संभालते हैं, तो उनका शासन न केवल विकास, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक बन सकता है।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारत एक नए युग में प्रवेश कर सकता है, जहां धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक संतुलन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक एकता का मार्ग प्रशस्त होगा। -(लेखिका,सर्वोच्च न्यायालयकी अधिवक्ता हैं)

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