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3242 करोड़ मुनाफे में चल रही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को घाटे में दिखा बेचने की साजिश!

बनारस में बिजली कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, निजीकरण के खिलाफ गरजे तमाम कार्यालयों पर!

(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
लखनऊ।उत्तर प्रदेश के बनारस में आज भी बिजली कार्यालयों पर एक साथ गूंजा नारा “बिजली नहीं बिकेगी!” विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले सभी मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता कार्यालयों पर एकजुट होकर बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यालय अवकाश के बाद शाम 5 बजे से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने पूरे जिले में बिजली निजीकरण के खिलाफ ज्वाला भड़का दी।

संघर्ष समिति ने साफ कहा – 3242 करोड़ रुपये मुनाफे में चल रही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को घाटे में दिखाकर बेचना सरासर धोखा है! नियामक आयोग को टैरिफ में 45% बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजकर निजी हाथों को फायदा पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। समिति ने एलान किया कि 11 जुलाई को वाराणसी में होने वाली टैरिफ सुनवाई के दौरान निजीकरण के झूठे खेल का परदाफाश किया जाएगा।

संघर्ष समिति के मुताबिक, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा वर्ष 2024-25 में विभिन्न उपभोक्ताओं को कुल 6327 करोड़ की सब्सिडी दी जा रही है। इसमें 5321 करोड़ टैरिफ सब्सिडी, 376 करोड़ नलकूपों के लिए और 630 करोड़ बुनकरों को दी जा रही है। ये सब्सिडी जनता के लिए है, लेकिन निजीकरण के बाद इन्हें खत्म करने की तैयारी है।

वित्तीय आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024-25 में उपभोक्ताओं से 13297 करोड़ की वसूली हुई है। सरकारी विभागों पर 4182 करोड़ रुपये बकाया है। इन बकायों को जोड़ने पर कुल राजस्व 17479 करोड़ हो जाता है। यदि सब्सिडी की राशि भी जोड़ी जाए तो कुल आय 23806 करोड़ तक पहुँचती है, जबकि कुल खर्च 20564 करोड़ बताया गया है। मतलब साफ है – निगम को 3242 करोड़ रुपये का लाभ हो रहा है, इसके बावजूद निजीकरण का झूठा बहाना गढ़ा जा रहा है।

संघर्ष समिति ने गंभीर आरोप लगाए कि निजीकरण के समर्थन में भय का माहौल बनाने के लिए बिजली कर्मचारियों का वेतन रोका गया है, हजारों कर्मचारियों का जबरन ट्रांसफर किया गया है, और चेतावनी पत्र भेजे जा रहे हैं। संघर्ष समिति के छह पदाधिकारियों पर विजिलेंस जांच और एफआईआर के जरिए दबाव बनाने की कोशिश हो रही है।

परंतु समिति ने दो टूक कह दिया – “हम डरने वाले नहीं हैं!” जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं होता, सड़क से आयोग तक संघर्ष जारी रहेगा।

आज के विरोध प्रदर्शन में ई. मायाशंकर तिवारी, ई. नीरज बिंद, दीपक गुप्ता, हेमंत श्रीवास्तव, राजेश सिंह, रमेश यादव, धनपाल सिंह, आदित्य पांडेय, सतीश बिंद, गजेंद्र श्रीवास्तव, अमित कुमार, दयानंद, मनोज यादव समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अलग-अलग कार्यालयों पर विरोध सभा कर सरकार को चेताया “बिजली मुनाफे में है, इसे लूट का जरिया मत बनाओ!
इस दौरान अंकुर पाण्डेय
मीडिया सचिव/प्रभारी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश भी मौजूद रहे।

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