आयोग की रिपोर्ट अभी प्रमाणित नहीं, आपत्ति पर दोनों पक्षों को मौका’, अदालत ने कही ये बात
(रचना त्रिवेदी ब्यूरो)
प्रयागराज।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को लेकर जिला अदालत में हिंदू पक्ष के लंबित सिविल वाद की पोषणीयता पर मुहर लगा दी है। साथ ही सर्वे आदेश को सही ठहराते हुए आठ जनवरी को मुकदमे और सर्वेक्षण पर लगाई गई रोक हटा लिया है।
संभल जामा मस्जिद पर सोमवार को हाईकोर्ट ने 45 पेज को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए, जिला अदालत के आदेशों पर मुहर लगाई। हिंदू पक्ष की अर्जी पर एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति और उसके 19 नवंबर से 24 नवंबर, 2024 तक किए गए सर्वेक्षण पर मस्जिद प्रबंधन कमेटी की आपत्ति को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कहा कि आयोग की रिपोर्ट अभी प्रमाणित नहीं की गई है। इसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने से पहले पक्षकारों को आपत्ति का पूरा अवसर मिलेगा। सिविल कोर्ट का आदेश पुनरीक्षणीय नहीं है।
पूजा का अधिकार की है मांग, स्थिति परिवर्तन की नहीं
मुस्लिम पक्ष की ओर से सिविल वाद को पूजा स्थल अधिनियम के तहत प्रतिबंधित बताने की दलील भी नहीं मानी गई। कोर्ट ने कहा कि वादी ने धार्मिक स्थल को परिवर्तित करने की मांग नहीं की है, बल्कि 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल अधिनियम की धारा 18 के तहत केवल प्रवेश और पूजा के अधिकार की मांग की है।
मंदिर कमेटी की ओर से दायर की गई अर्जी को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है जिसके बाद अब यह मुकदमा सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल स्थित चंदौसी में चलेगा। सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह के न्यायालय ने इस मामले में 28 अप्रैल को सुनवाई के लिए अगली तारीख तीन जुलाई नियत कर दी थी।
19 नवंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन की ओर से उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और संभल के कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी समेत आठ वादकारियों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन चंदौसी आदित्य कुमार सिंह के चंदौसी स्थित न्यायालय में जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे को लेकर वाद दाखिल किया था। इसमें जामा मस्जिद परिसर के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने और सर्वे की वीडियोग्राफी तथा फोटोग्राफी कराए जाने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने तत्काल ही कमीशन गठित कर रिपोर्ट मांगी थी।
जल्दबाजी में नहीं दिया गया सर्वेक्षण का आदेश
मस्जिद कमेटी ने एडवोकेट कमीशन व सर्वेक्षण के आदेश को जल्दबाजी में दिया गया पक्षपाती फैसला बताया था। साथ ही आपत्ति उठाई कि सर्वे का आदेश एक दिन का था, लेकिन दो दिन किया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की ओर से धारा 80(2) के तहत दी गई छूट न्यायसंगत थी। वादी ने अपनी अर्जी में स्मारक के संभावित नुकसान व तात्कालिकता को स्पष्ट रूप से दर्शाया था। जब आयोग का कार्य पहले दिन पूरा नहीं हो सका, तो दूसरा दिन निर्धारित कर कार्य संपन्न करना उचित था।
मस्जिद कमेटी पहुंची थी सुप्रीम कोर्ट
24 नवंबर को हुए बवाल के बाद जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्रवाई को रोकते हुए हाईकोर्ट को सुनवाई करने के लिए आदेश किया था। जामा मस्जिद कमेटी की सर्वे पर रोक लगाने वाली गाचिका अब खारिज कर दी गई है।
संभल की जामा मस्जिद पर हिन्दू पक्ष का दावा पोषणीय, सर्वेक्षण भी सही : हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को लेकर जिला अदालत में हिंदू पक्ष के लंबित सिविल वाद की पोषणीयता पर मुहर लगा दी है। साथ ही सर्वे आदेश को सही ठहराते हुए आठ जनवरी को मुकदमे और सर्वेक्षण पर लगाई गई रोक हटा लिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐतिहासिक और ठोस तथ्यों के आधार पर ऐतिहासिक विरासत का दावा दरकिनार करना न्याय की आत्मा के विपरीत होगा। लिहाजा, विवादित स्थल मस्जिद है या मदिंर, इसकी जांच जरूरी है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत ने मस्जिद कमेटी की ओर से सिविल वाद की पोषणीयता व सर्वेक्षण के आदेश को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।