दिल्ली। साहित्य और हिंदी की सेवा में समर्पित प्रतिभाओं को मंच देने वाले “सारा सच” मीडिया और राष्ट्रीय साहित्यिक मंच “हमारी वाणी” के तत्वावधान में आयोजित भव्य सम्मान समारोह में डॉ. अनीता को NPA राष्ट्रीय गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। यह गौरवपूर्ण सम्मान उन्हें उनके उत्कृष्ट लेखन, साहित्यिक योगदान और हिंदी सेवा के लिए प्रदान किया गया, जिसमें उन्होंने पूरे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में तृतीय स्थान प्राप्त कर न केवल अपने नाम को, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम भी रौशन कर दिया।
देश के कोने-कोने से जुटे साहित्य प्रेमियों, कवियों और रचनाकारों के बीच जब यह सम्मान डॉ. अनीता को सौंपा गया तो पूरा सभागार तालियों की गूंज से गूंज उठा। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने कविताएं, गीत और ग़ज़ल प्रस्तुत कर माहौल को साहित्यिक रंगों से भर दिया।
डॉ. अनीता ने अपने संबोधन में कहा, “माँ सरस्वती की कृपा से मुझे यह सम्मान मिला है। मेरा जीवन हिंदी भाषा और साहित्य की सेवा में समर्पित है। जब तक सांस है, साहित्य को जीवन मानकर उसकी आराधना करती रहूँगी।”
कार्यक्रम के आयोजकों—”सारा सच” मीडिया के निर्देशक और निर्णायक मंडल को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, “आप सभी ने जिस विश्वास के साथ मुझे यह सम्मान दिया, वह मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।”
डॉ. अनीता का साहित्यिक सफर अद्वितीय है। उन्हें अब तक 100 से अधिक मंचों पर सम्मान मिल चुका है। उन्होंने 12 पुस्तकों का संपादन, 1 पुस्तक का सह-संपादन तथा 3 एकल काव्य संग्रह प्रकाशित किए हैं। इसके अतिरिक्त दो दर्जन से अधिक साझा संकलनों में भी उनकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं।
उनकी 5 पुस्तकें ‘द आइडल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज की जा चुकी हैं, जो किसी भी साहित्यकार के लिए बड़े गौरव की बात है। करीब 20 वर्षों से साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत डॉ. अनीता आज युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी हैं।
उनकी लेखनी सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि विचारों की धार है, जिसने हिंदी साहित्य को एक नई ऊर्जा और दिशा दी है। उनकी रचनाएं समाज को आईना दिखाने का कार्य करती हैं और पाठकों के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं।
साहित्यिक मंचों पर उनकी उपस्थिति मात्र ही कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ा देती है। उनके काव्य पाठ में समाज, संस्कृति और संवेदनाओं का अद्भुत समावेश होता है। यही कारण है कि देशभर में उन्हें एक सशक्त महिला रचनाकार के रूप में पहचान मिली है।
डॉ. अनीता का यह सम्मान न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि दिल्ली-एनसीआर की साहित्यिक भूमि के लिए भी गर्व का विषय है। ऐसे साहित्यसेवियों के कारण ही हिंदी भाषा का परचम आज भी विश्व मंच पर लहराता जा रहा है।
डॉ. अनीता को राष्ट्रीय गौरव सम्मान मिलने पर साहित्यिक जगत, पाठकों और उनके शुभचिंतकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। यह सम्मान उनकी साधना, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक बनकर उभरा है।