(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
वाराणसी।रेलवे सुरक्षा बल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि उनके लिए यात्रियों की सुरक्षा ही सर्वोपरि है। पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते” अभियान के तहत मानवता और संवेदनशीलता की मिसाल पेश करते हुए एक चार साल की लावारिस बच्ची को उसकी मां से मिलवाया गया। यह पूरी घटना 29 मई 2025 को बलिया रेलवे स्टेशन पर घटी, जिसने स्टेशन पर मौजूद हर किसी की आंखें नम कर दीं।
दिन के समय बलिया स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर गश्त कर रहे सहायक उप निरीक्षक संतोष कुमार राय को मुख्य टिकट निरीक्षक घनश्याम ने सूचना दी कि एक छोटी बच्ची अकेली घूम रही है। तुरंत हरकत में आए रेलवे कर्मियों ने प्लेटफॉर्म पर बच्ची को पार्सल ऑफिस के सामने टहलते हुए देखा।

बच्ची से पूछताछ करने पर उसने अपना नाम सृष्टि सिंह, पिता का नाम पप्पू सिंह और मां का नाम राजरानी बताया। मासूम सृष्टि ने बताया कि वह अपनी मां, भाई और मामा के साथ दिल्ली जा रही थी। सफर के दौरान मां शौचालय गई और जब वह वापस नहीं लौटी तो बच्ची उन्हें खोजते-खोजते ट्रेन से उतर गई।
बच्ची को तत्काल रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट पर लाया गया और 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना दी गई। कुछ ही देर में चाइल्ड हेल्पलाइन से रीना तिवारी और आकाश गुप्ता मौके पर पहुंचे। निर्धारित प्रक्रिया के तहत स्टेशन मास्टर राजीव कुमार राय और डिप्टी सीटीआई घनश्याम की उपस्थिति में दोपहर 2:35 बजे बच्ची को चाइल्ड हेल्पलाइन को सुपुर्द कर दिया गया।
इस दौरान पता चला कि सृष्टि की मां समर स्पेशल ट्रेन संख्या 04057 में सफर कर रही थीं। रेलवे सुरक्षा बल ने तत्परता दिखाते हुए वाराणसी सिटी पोस्ट पर तैनात उपनिरीक्षक सुधीर कुमार राय को सूचना दी। उनकी सतर्कता से जब ट्रेन वाराणसी सिटी स्टेशन पर पहुंची तो मां राजरानी को खोज कर उतारा गया और अगले ट्रेन संख्या 11061 से बलिया भेजा गया।
बलिया पहुंचने पर मां-बेटी का मिलन हुआ और बच्ची को चाइल्ड केयर के माध्यम से सौंपा गया। मां अपनी बच्ची को लेकर गंतव्य के लिए रवाना हुईं। इस पूरे अभियान ने रेलवे की मानवता-सेवा को और मजबूत किया।
बच्ची की मां और चाइल्ड हेल्पलाइन प्रतिनिधियों ने रेलवे सुरक्षा बल की इस त्वरित और मानवीय कार्रवाई की सराहना की। इस कार्य की जानकारी अशोक कुमार, जनसम्पर्क अधिकारी वाराणसी द्वारा मीडिया को दी गई।
रेलवे सुरक्षा बल का यह प्रयास एक मिसाल बन गया है, जहां केवल ट्रेनों की सुरक्षा ही नहीं, बल्कि यात्रियों की भावनाओं और जिंदगियों की भी हिफाजत की जाती है। सृष्टि की कहानी ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ के तहत एक नई उम्मीद बनकर उभरी है।