“*(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
बलिया। शिक्षक बनने का सपना साकार हुआ तो सही, लेकिन कानूनी दांव-पेंच में उलझ कर कुछ का करियर वहीं थम गया। 69 हजार शिक्षक भर्ती के तहत नियुक्त हुए पांच शिक्षकों की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। उच्च न्यायालय प्रयागराज के आदेश पर बलिया, आजमगढ़ और मऊ के चार सहायक अध्यापकों को सेवा से मुक्त कर दिया गया है, जबकि एक और शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया अमेठी में शुरू कर दी गई है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने कोर्ट के आदेश के अनुपालन में यह कार्रवाई की है। जिन शिक्षकों को सेवा से हटाया गया है, उनमें दो महिला और दो पुरुष शिक्षक शामिल हैं। ये सभी वे अभ्यर्थी हैं जो आवेदन तिथि तक BTC (D.El.Ed) की परीक्षा में अनुत्तीर्ण थे और बाद में बैक पेपर से पास हुए।
बीएसए कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, बलिया के शिक्षा क्षेत्र सोहांव के प्राथमिक विद्यालय इस्लामिया में कार्यरत गुलाब चंद, जो आजमगढ़ के निवासी हैं, सेवा मुक्त किए गए हैं। वहीं सीयर ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय सोनाडीह में तैनात दिलीप कुमार यादव, जो नगरा क्षेत्र के हैं, को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
इसके अलावा गड़वार ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय त्रिकालपुर में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत निवेदिता सिंह और रसड़ा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय नसरथपुर में कार्यरत खुशबू को भी सेवा से मुक्त किया गया है। निवेदिता नगरा क्षेत्र के ताड़ीबड़ागांव की हैं, जबकि खुशबू मऊ के घोसी क्षेत्र की निवासी हैं।
एक अन्य शिक्षिका स्निग्धा श्रीवास्तव का स्थानांतरण अमेठी जिले में हो चुका है। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए बीएसए बलिया ने अमेठी के बीएसए को पत्र भेज दिया है, जिससे वहां भी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
गौरतलब है कि बीते 25 अप्रैल को बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने प्रदेश भर के बीएसए को पत्र लिखकर ऐसे अभ्यर्थियों की पहचान कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, जिन्होंने 22 दिसंबर 2018 तक BTC की परीक्षा पास नहीं की थी लेकिन बाद में बैक पेपर के जरिए उत्तीर्ण होकर दस्तावेज़ लगाए थे।
इन सभी मामलों में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति अवैध मानी जाएगी क्योंकि आवेदन की अंतिम तिथि तक उनके पास आवश्यक शैक्षिक योग्यता नहीं थी। इस आदेश के बाद जिले स्तर पर जांच शुरू हुई और बलिया में कुल पांच ऐसे मामले सामने आए।
बीएसए मनीष कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए तत्काल प्रभाव से चार शिक्षकों को सेवा मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को लेकर और भी सतर्क रहेगा।
इस कार्रवाई से न सिर्फ प्रभावित शिक्षकों को झटका लगा है, बल्कि बाकी ऐसे शिक्षकों में भी हड़कंप मच गया है जो अब तक किसी न किसी तरह इस जांच के दायरे से बाहर थे। विभागीय सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं।
यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों का पालन कितना जरूरी है। वरना सालों बाद भी नियुक्ति रद्द हो सकती है और मेहनत बेकार जा सकती है।फिलहाल बलिया, आजमगढ़ और मऊ के जिन स्कूलों में ये शिक्षक कार्यरत थे, वहां नई तैनाती की प्रक्रिया शुरू की जा रही है ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।यह खबर न केवल शिक्षा विभाग के लिए चेतावनी है, बल्कि उन अभ्यर्थियों के लिए भी सबक है जो नियमों को हल्के में लेते हैं।
न्यायालय की सख्ती से अब भर्ती प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता की उम्मीद की जा रही है।शिक्षा विभाग की इस बड़ी कार्रवाई ने पूरे ज़िले में हलचल मचा दी है और अब सबकी नजर अमेठी के उस एकमात्र शिक्षक पर है जिसके खिलाफ कार्रवाई की तलवार अब भी लटक रही है।