***(शीतल निर्भीक ब्यूरो)*
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठित अधिवक्ता रीना एन सिंह ने एक सख्त सार्वजनिक चेतावनी जारी की है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनकी तस्वीर या नाम का किसी भी सामाजिक संगठन, संस्था, या व्यक्ति द्वारा बिना अनुमति इस्तेमाल करना अब उन्हें भारी पड़ सकता है। सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप्स या किसी अन्य माध्यम से उनके नाम को गलत खबरों से जोड़ना कानून का उल्लंघन है और इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता रीना एन सिंह ने साफ किया है कि किसी भी प्रकार की डिजिटल या प्रिंट सामग्री में उनकी तस्वीर/फोटो का प्रयोग यदि बिना उनकी या उनके कार्यालय की पूर्व अनुमति के किया गया, तो वह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, भारतीय न्याय संहिता और अन्य लागू कानूनों के अंतर्गत सख्त कार्रवाई करेंगी। इस चेतावनी के बाद ऐसे तत्वों में हड़कंप मच गया है, जो फर्जी खबरों या भ्रम फैलाने के लिए जानी-मानी हस्तियों की छवि का दुरुपयोग करते रहे हैं।
रीना एन सिंह ने यह संदेश सार्वजनिक रूप से जारी कर लोगों को आगाह किया है कि यदि कोई भी व्यक्ति या संगठन इस चेतावनी की अनदेखी करता है और जानबूझकर उनके नाम या फोटो का अनुचित इस्तेमाल करता है, तो वह कानूनी शिकंजे में फंस सकता है। ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्ति/संगठन को कठोर सज़ा और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है। खास तौर पर ऐसे दौर में जब डिजिटल माध्यमों पर फेक न्यूज़ और छवि को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, रीना एन सिंह की यह कानूनी चेतावनी एक मिसाल बन सकती है।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह न केवल उनकी निजता का उल्लंघन है, बल्कि यह एक दंडनीय अपराध भी है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे किसी भी प्रकार की खबर या प्रचार-प्रसार में उनके नाम या तस्वीर का उपयोग करने से पहले विधिवत अनुमति लें, अन्यथा उन्हें गंभीर कानूनी परिणाम झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता रीना एन सिंह की यह पहल उन सभी लोगों और संस्थाओं के लिए चेतावनी है जो डिजिटल प्लेटफार्म का दुरुपयोग कर झूठी खबरें फैलाते हैं या प्रसिद्ध हस्तियों के नाम का सहारा लेकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं। अब यह साफ हो चुका है कि इस प्रकार की हरकतें अब बिना जवाबदेही के नहीं चलेंगी।
उनकी यह कानूनी चेतावनी सोशल मीडिया और पेशेवर हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। कई विशेषज्ञों ने इस कदम को सकारात्मक बताते हुए कहा है कि इससे फेक न्यूज, छवि धूमिल करने वाले अभियानों और साइबर अपराधों पर अंकुश लगेगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यह चेतावनी कितनों को सतर्क करती है और कितने लोग फिर भी कानून की अनदेखी कर रीना एन सिंह जैसे सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ताओं से टकराने की हिमाकत करते हैं। लेकिन इतना तय है कि अगर किसी ने गलती की, तो अब उसे माफ़ी नहीं बल्कि कोर्ट का समन मिलेगा।